भानु सप्तमी Bhanu Saptami कब और क्यों मनाई जाती है ?

भानु सप्तमी Bhanu Saptami कब और क्यों मनाई जाती है ?

नमस्कार, आप सभी का BajiyaNews.com वेबसाईट पर हार्दिक स्वागत है इस पोस्ट में भानु सप्तमी Bhanu Saptami, भानु सप्तमी का महत्व, भानु सप्तमी की पूजन विधि, एवं भानु सप्तमी से प्राप्त होने वाले फल तथा सूर्य मंत्रों के बारे जानकारी उपलब्ध कराई गई है

भारत में, हिन्दू ग्रन्थों और मान्यताओं के अनुसार भानु सप्तमी को बहुत ही शुभ दिन माना गया है। भानु सप्तमी को आरोग्य सप्तमी, रथ सप्तमी, सूर्य सप्तमी, पुत्र सप्तमी आदि नामों से भी जाना जाता है। इसी दिन सूर्य भगवान अपने प्रकाश से पृथ्वी को प्रकाशवान किया था।  रविवार के दिन सप्तमी तिथि के संयोग से ‘भानु सप्तमी’ पर्व का सृजन होता है। इस दिन भगवान सूर्यनारायण के लिए व्रत रखते हुए उपासना करने से अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती है। भानु सप्तमी के दिन आदित्य हृदय और अन्य सूर्य स्त्रोत का पाठ किया जाता है जिससे सूर्य भगवान को प्रसन्न किया जा सके। ग्यारह हजार रश्मियों के साथ तपने वाले सूर्य ‘भग’ रक्तवर्ण हैं। यह सूर्यनारायण के सातवें विग्रह हैं और एश्वर्य रूप से पूरी सृष्टि में निवास करते हैं। सम्पूर्ण ऐश्वर्या, धर्म, यश, श्री, ज्ञान और वैराग्य ये छह भग कहे जाते हैं। इन सबसे सम्पन्न को ही भगवान माना जाता है। अस्तु श्रीहरी भगवान विष्णु के नाम से जाने जाते हैं।

भानु सप्तमी को क्या करना चाहिए

पौष मास के प्रत्येक रविवार को ‘विष्णवे नमः’ मंत्र से सूर्य की पुजा की जानी चाहिए। ताम्र के पात्र में शुद्ध जल भरकर उसमें लाल चन्दन, अक्षत, लाल रंग के फूल डाल कर सूर्यनारायण को अर्ध्य देना चाहिए। रविवार के दिन एक समय बिना नमक का भोजन सूर्यास्त के बाद करना चाहिए। सूर्य देव को पौष में तिल और चावल की खिचड़ी का भोग लगाने के साथ बिजौरा नींबू समर्पित करना चाहिए। पौराणिक ग्रन्थों और शास्त्रों में भानु सप्तमी में जप, होम दान आदि करने पर सूर्य ग्रहण की तरह अनंत गुना फल प्राप्त होता है। सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं। इनकी अर्चना से मनुष्य को सब रोगों से छुटकारा मिलता है। जो नित्य भक्ति और भाव से सूर्यनारायण को अर्ध्य देकर नमस्कार करता है, वह कभी भी अंधा, दरिद्र, दुःखी और शोकग्रस्त नहीं रहता।

सूर्य मंत्र (Surya Mantra)

ॐ मित्राय नमः, ॐ रवये नमः ।

ॐ सूर्याय नमः, ॐ भानवे नमः ।

ॐ खगाय नमः, ॐ पुष्णे नमः ।

ॐ हिरन्यायगर्भय नमः, ॐ मरीचे नमः ।

ॐ सवित्रे नमः, ॐ आर्काया नमः ।

ॐ आदिनाथाय नमः, ॐ भास्कराय नमः ।

ॐ श्री सवितसूर्यनारायण नमः।

भानु सप्तमी Bhanu Saptami कब और क्यों मनाई जाती है ?, भानु सप्तमी का महत्व, भानु सप्तमी की पूजन विधि, एवं भानु सप्तमी से प्राप्त होने वाले फल

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